सरकार के कुशल वित्तीय प्रबंधन से इस साल दिसंबर तक कर्मचारियों व पेंशनर्ज को वेतन-पेंशन का संकट दूर होगा। सरकार अगले तीन माह के दौरान सिर्फ 1,817 करोड़ रुपये का ऋण ले सकती है।वेतन-पेंशन का भुगतान करने के लिए छह हजार करोड़ चाहिए।
सरकार ने वित्त प्रबंधन की पहल करते हुए मंत्रियों, मुख्य संसदीय सचिवों का वेतन दो माह के विलंबित करने की शुरूआत की। उसके बाद कर्मचारियों व पेंशनर्ज को वेतन और पेंशन के लिए धैर्य रखने के लिए कहा और पांच तारीख को वेतन और दस तारीख को पेंशन बैंक खातों में पहुंची।
सरकार सालाना बचाएगी 36 करोड़ रुपए
वित्त प्रबंधन के माध्यम से सात सौ करोड़ का ऋण भी लिया गया। सरकार ने कर्मचारियों के वेतन व पेंशनर्ज की पेंशन की तारीखों में बदलाव किया ताकि बाजार से 7.50 प्रतिशत की दर से अग्रिम ऋण न लेना पड़ा। ऐसा करने से हर महीने करीब 3 करोड़ रुपये की बचत होगी, जिससे सरकार सालाना 36 करोड़ रुपए बचाएगी।
विधानसभा में वेतन और पेंशन पर वक्तव्य देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि प्रदेश का राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी) ग्रांट के 520 करोड़ रुपये 6 तारीख और केंद्रीय करों के शेयर की राशि के 840 करोड़ रुपये 10 तारीख को मिलते हैं।
राज्य पर कुल 88,589 करोड़ का कर्ज
वेतन-पेंशन की कुल देनदारियों को एकत्र रूप में देखा जाए तो वार्षिक 27 हजार करोड़ रुपये होते हैं। यदि ऋण की बात की जाए तो राज्य पर कुल ऋण 88,589 करोड़ रुपये हैं और प्रति व्यक्ति आय 1.17 लाख रुपये है।
प्रदेश विधानसभा में वित्तीय संकट के कई कारण बताए गए। इसमें एक कारण वर्ष, 2023-24 की राजस्व घाटा अनुदान का 8,058 करोड़ रुपये में से वर्तमान वित्त वर्ष में 1,800 करोड़ रुपये कम होना है।
इस वर्ष राजस्व घाटा अनुदान के तहत 6,258 करोड़ रुपये है। अगले वित्तीय वर्ष, 2025-26 में तीन हजार करोड़ से घटकर 3,257 करोड़ रह जाएगी। जीएसटी मुआवजा जून, 2022 के बाद से जीएसटी मुआवजा भी मिलना बंद हो गया है।