हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कर्नल (डॉ.) धनी राम शांडिल ने डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में प्राकृतिक खेती के उत्पादों के लिए एक नए विशेष आउटलेट का उद्घाटन किया। यह आउटलेट जिसे ‘यूएचएफ नेचुरल्स’ के नाम से ब्रांड किया गया है, विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में स्थित है और उपभोक्ताओं को 100 से अधिक प्राकृतिक उत्पाद उपलब्ध करवाएगा।
इस अवसर पर कर्नल (डॉ.) शांडिल ने प्राकृतिक खेती की उपज के लिए समर्पित स्टोर स्थापित करने में विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। उन्होनें कहा कि आज के युग में एक किसान के खेत की उपज को एक अच्छा सेल्स प्लैटफ़ार्म मिलना सबसे महत्वपूर्ण होता है और इस तरह का विक्रय केंद्र न केवल किसानों को सही मूल्य दिलवाने बल्कि उपभोक्ताओं को भी शुद्ध प्राकृतिक उत्पाद दिलवाने में मददगार साबित होगा। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न उत्पादों की पैकेजिंग और सप्लाई चैन में तकनीक का इस्तेमाल करने पर बधाई दी।
प्राकृतिक खेती के लिए सतत खाद्य प्रणाली मंच (SuSPNF)
यूएचएफ नेचुरल्स हिमाचल सरकार की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (पीके3वाई) पहल का हिस्सा है। इस परियोजना के तहत, खाद्य प्रणाली परिवर्तन के लिए एक चक्रीय अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्राकृतिक खेती के लिए एक इनोवेटिव सस्टेनेबल फूड सिस्टम प्लेटफॉर्म (SuSPNF) बनाने के लिए कार्य किया है। वर्ष 2023 से नौणी विश्वविद्यालय राज्य के विभिन्न जिलों में सस्टेनेबल फूड सिस्टम प्लेटफॉर्म के कार्यान्वयन का नेतृत्व कर रहा है।
इसमें कृषि संसाधन विश्लेषण के लिए सर्टिफाइड इवैल्यूएशन टूल फॉर एग्रीकल्चर रीसोर्स एनालिसिस (CETARA-NF) का निर्माण शामिल है, जो एक डिजिटलीकरण प्रणाली है, जिसे किसानों और उपभोक्ताओं को जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सस्टेनेबल फूड सिस्टम प्लेटफॉर्म का एक अन्य प्रमुख पहलू खाद्य प्रणालियों के कार्बन फूटप्रिंट पद चिन्ह और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को संबोधित करने के लिए सप्लाई चैन का स्थानीयकरण है।
‘यूएचएफ नेचुरल्स’ स्टोर एक व्यापक ढांचे के भीतर काम करेगा, जो राज्य भर से प्राकृतिक खेती किसान उत्पादक कंपनियों (एनएफ एफपीसी) द्वारा उगाए गए ताजे फल, सब्जियां, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद, अनाज और दालों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के फार्म से उत्पाद उपलब्ध कराएगा। उपलब्ध उत्पादों में विश्वविद्यालय के वनस्पति नियंत्रण समाधान, खुले परागण वाले बीज, खाने के लिए तैयार उत्पाद और सजावटी पौधे भी शामिल होंगे, जो उपभोक्ताओं और प्राकृतिक किसानों दोनों को विविधता प्रदान करेंगे।
विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण में स्थानीय रूप से उगाए गए, रसायन मुक्त, प्राकृतिक भोजन प्रदान करने और स्थानीय आबादी के लिए स्थानीयकृत आपूर्ति और मूल्य श्रृंखला प्रणाली बनाने के लिए प्रदेश भर इस तरह के अतिरिक्त आउटलेट खोलना लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि यह पहल आसानी से सुलभ प्राकृतिक उपज के लिए हिमाचल के उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग का जवाब है। इस योजना में एफपीसी के लिए विपणन प्रयासों को आधुनिक बनाने के लिए ई-कॉमर्स और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) जैसी प्रणालियों का उपयोग भी किया जाएगा।
इस खाद्य प्रणाली परिवर्तन योजना में तीन प्रकार के बुनियादी ढांचा विकसित किए जा रहे है-संस्थागत, डिजिटल और भौतिक। प्रोफेसर चंदेल ने बताया कि इस योजना में उपभोक्ता एक ऑनलाइन सस्टेनेबिलिटी प्लेटफॉर्म की तहत यह जान सकता है कि उनके द्वारा खरीदा जा रहा उत्पाद किस किसान की खेत में उगाया गया है। प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना की तीसरी मार्केटिंग पहल के तहत पहले ही सोलन और शिमला में दो कार्यात्मक स्टोर स्थापित किए जा चुके हैं। विश्वविद्यालय में 3,500 से अधिक का कैप्टिव उपभोक्ता आधार है, जिसमें छात्र, विश्वविद्यालय कर्मचारी और विसिटर शामिल है जो इन प्राकृतिक उत्पादों के उपभोक्ता होगें। यह स्थानीय बाजार प्राकृतिक किसानों को उनके संबंधित एफपीसी के माध्यम से उपभोक्ताओं से जोड़ने में सहायक है।
भविष्य में यूएचएफ नेचुरल्स स्थिरता अनुसंधान के लिए प्राथमिक डेटा इकट्ठा करने की योजना बना रहा है, जिसे डिजिटलीकृत किया जाएगा और सस्टेनेबिलिटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से उपलब्ध करवाया जाएगा। यह डेटा सरकार को विभिन्न कार्यक्रमों के स्थिरता परिणामों को मापने, बेंचमार्क करने, मूल्यांकन करने और रिपोर्ट करने में मदद करेगा। इसके अतिरिक्त, प्राकृतिक खेती एफपीसी की ताकत का लाभ उठाते हुए, इस डिजिटलीकरण प्रयास को पूरे हिमाचल प्रदेश में अन्य उद्यमियों तक बढ़ाया जाएगा।