न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने स्पष्ट किया कि यदि वन विभाग में वन रक्षकों की भर्ती की जाती है तो सभी वन सर्किल में एक जैसे नियम होने चाहिए। पूरे प्रदेश में भर्ती के लिए विज्ञापन, लिखित परीक्षा, साक्षात्कार और परिणाम एक ही समय में हों।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वन रक्षकों की वरीयता सूची के मामले में राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह वन रक्षकों की भर्ती एक ही भर्ती प्रक्रिया के तहत करे। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने स्पष्ट किया कि यदि वन विभाग में वन रक्षकों की भर्ती की जाती है तो सभी वन सर्किल में एक जैसे नियम होने चाहिए। पूरे प्रदेश में भर्ती के लिए विज्ञापन, लिखित परीक्षा, साक्षात्कार और परिणाम एक ही समय में हों। एक ही दिन सभी को नियुक्ति पत्र दिया जाए ताकि उनकी वरीयता में विरोधाभास न हों। वन रक्षकों की वरीयता सूची में विरोधाभास को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने यह आदेश पारित किए। याचिकाकर्ता इंतजार और 55 अन्य ने वन रक्षकों की वरीयता सूची में विरोधाभास को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी।
वन रक्षकों के 583 पदों को भरने के लिए विभाग ने 20 अप्रैल, 2007 को एक विज्ञापन जारी किया था। इसके लिए विभाग ने राज्य स्तरीय लिखित परीक्षा ली। लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण हुए अभ्यर्थियों का साक्षात्कार सर्किल के आधार पर अलग-अलग समय में लिया गया। इसका परिणाम और नियुक्ति भी अलग-अलग समय में दी गई। इनकी वरीयता ज्वाइनिंग के आधार पर दर्ज की गई। दलील दी गई कि एक ही भर्ती प्रक्रिया से नियुक्त होने वाले वन रक्षकों की वरीयता सूची अलग नहीं हो सकती। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपने निर्णय में कहा कि भर्ती एजेंसी साक्षात्कार के लिए अलग बोर्ड गठित कर सकती है। अदालत ने स्पष्ट किया कि एक ही भर्ती प्रक्रिया से चयनित वन रक्षकों की प्रदेश स्तर पर वरीयता सूची बनाई जा सकती है, लेकिन इसमें अन्य भर्ती तरीके से चयनित वर रक्षक नहीं आ सकते।