ओल्ड बस स्टैंड से कमांड जाने वाले रास्ते पर चार मासूम बच्चे अपने माता-पिता के साथ सोए मिले। निगम टीम ने इन्हें रैन बसेरा में चलने को कहा लेकिन यह तैयार नहीं हुए। कड़ाके की ठंड में दो से दस साल तक के छह मासूम राजधानी शिमला के फुटपाथों पर सोने को मजबूर हैं। रोज सुबह शाम यह ठंड में ठिठुरते हैं, लेकिन इनके माता-पिता नगर निगम के बनाए रैन बसेरे में जाने को तैयार नहीं। शुक्रवार देर रात नगर निगम की टीम ने रैन बसेरा प्रभारी विशाल शर्मा की अगुवाई में शहर के बस स्टैंड और सर्कुलर रोड पर बने रेन शेल्टरों का निरीक्षण किया।
कई जगह मासूम बच्चे फुटपाथ पर सोते मिले। ओल्ड बस स्टैंड से कमांड जाने वाले रास्ते पर चार मासूम बच्चे अपने माता-पिता के साथ सोए मिले। निगम टीम ने इन्हें रैन बसेरा में चलने को कहा लेकिन यह तैयार नहीं हुए। टीम ने सख्ती की तो बोले कि कल चलेंगे। बीते छह महीने से यही जवाब दे रहे हैं, लेकिन रैन बसेरे में जाने को तैयार नहीं। इनके साथ दो से चार साल तक के चार बच्चे भी हैं। निगम टीम को देखकर कुछ कर्मचारी आवास से बाहर निकले और बोले कि यह लोग हुड़दंग मचाते हैं गंदगी फैलाते हैं।
इन्हें हटाया जाए। टीम ने इन्हें साथ चलने को कहा, लेकिन यह हाथ जोड़ने लगे। देररात तक चली कार्रवाई के बाद सिर्फ एक युवक रैन बसेरा जाने को तैयार हुआ। इसे लक्कड़ बाजार रैन बसेरा में शिफ्ट किया गया। यहां 15 से ज्यादा लोग ठहरे हैं। निगम टीम ने शिल्ली चौक लेबर हॉस्टल में जाकर भी चेकिंग की।

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