धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कोई खैरात थोड़ी दी है, हमें जो पैसा मिला है वह हमारा अधिकार है। केंद्र सरकार ने कोई खैरात थोड़ी दी है, हमें जो पैसा मिला है वह हमारा अधिकार है। आपदा का पैसा केंद्र सरकार ने नहीं दिया। एनपीएस (न्यू पेंशन स्कीम) के 9,200 करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने दबा रखे हैं। प्रदेश सरकार अपनी संपदा और संसाधनों से चल रही है। यह बात मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंगलवार को धर्मशाला के परिधि गृह में पत्रकारों से बातचीत में कही।
उन्होंने कहा कि बोर्ड और कॉरपोरेशन दोनों अलग-अलग हैं। 1200 करोड़ रुपये कर्मचारियों और अधिकारियों की तनख्वाह बनती है। 800 करोड़ रुपये पेंशन बनती है। प्रदेश के 1.70 लाख कर्मचारियों को करीब दो हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है। इस पैसे पर आरबीआई के साथ हमारी ट्रेजरी जुड़ी होती है। इस पर साढ़े सात फीसदी ब्याज लगता है। इस राशि पर साढ़े तीन करोड़ रुपये ब्याज का हम पेंशन के रूप में देते हैं। वित्तीय अनुशासन लाने की कोशिश प्रदेश सरकार ने की है। सरकार ने कहा था कि वेतन पांच तारीख और पेंशन 9 तारीख को मिलेगी। देशभर के नेताओं ने इस पर चर्चा की और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी यहां आकर इस पर बयान दिया। लेकिन अच्छा होता कि आरबीआई और वित्त विभाग से नड्डा कुछ पूछते कि हमारी ट्रेजरी के क्या हाल हैं। उन्होंने फिर दोहराया-दो साल बाद हिमाचल आत्मनिर्भर होगा और 2032 में हिमाचल प्रदेश देश का सबसे समृद्धशाली और अमीर राज्य बनेगा। स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों सरकार की प्राथमिकता में है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पैसों की कोई कमी नहीं है। लेकिन इन दोनों सेक्टरों में क्वालिटी होनी चाहिए, इस पर काम हो रहा है।
‘हम जयराम की तरह सत्ता सुख भोगने नहीं आए’
सुक्खू ने कहा कि हम जयराम ठाकुर की तरह सत्ता सुख भोगने नहीं आए। व्यवस्था परिवर्तन के लिए आए हैं और वह हो रहा है। सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने कोई टैक्स नहीं बढ़ाया। भाजपा को हमारी व्यवस्था परिवर्तन से परेशानी हो रही है। क्योंकि खुद तो उन्होंने सत्ता में रहकर कुछ भी नहीं किया। पांच हजार करोड़ रुपये की रेबड़ियां बांट दीं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक अनिश्चितता के कारण सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम स्थगित हुआ था, लेकिन अब फिर से यह कार्यक्रम शुरू है। गांव में रहकर कौन सी योजना लाई जाए, इस पर विचार किया जा रहा है। कांगड़ा के गांवों में भी यह कार्यक्रम किए जाएंगे।
‘बिजली बोर्ड के लिए लेंगे मजबूत फैसले, कर्मचारियों के हितों की नहीं होगी अनदेखी’
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली बोर्ड के कर्मचारी हमारे परिवार के सदस्य हैं। उन्हें भी बात समझनी होगी। पिछले पांच सालों में जहां सुधार होने चाहिए थे, वहां नहीं हो पाए। ऐसी परिस्थिति न पैदा हो कि बिजली बोर्ड को चलाने में कोई दिक्कत पेश आए। सबसे सस्ती बिजली हम खरीद रहे हैं और सबसे महंगी बेच रहे हैं, उसका युक्तिकरण करने की जरूरत है। बिजली बोर्ड को सामर्थ्यवान बनाना है। लेकिन कर्मचारियों के हित की अनदेखी नहीं होगी। कर्मचारियों को तंग करने की मंशा नहीं है। कर्मचारी यूनियन से बात कर उनसे सुझाव मांगे जाएंगे। 2200 करोड़ रुपये की ग्रांट इन एड दे रहे हैं। रेगुलेटरी कमीशन ने भी कुछ सुझाव दिए हैं कि अगर बोर्ड को अपने पैरों पर खड़ा करना है तो मजबूत फैसले लेने होंगे।