हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के मैहतपुर में साथ लगते गांव जखेड़ा निवासी बलवीर कुमार उर्फ मिंटू लंबरदार का सादा गृहस्थ जीवन भी किसी सन्यास आश्रम से कम नहीं है। सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा गोवंश तथा अन्य पशुओं के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं है मिंटू लंबरदार। जहां भी घायल बेजुबान देखा, वहीं उपचार शुरू कर देते हैं और तब तक उसकी देखभाल करते हैं, जब तक वे पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता। हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के मैहतपुर में साथ लगते गांव जखेड़ा निवासी बलवीर कुमार उर्फ मिंटू लंबरदार का सादा गृहस्थ जीवन भी किसी सन्यास आश्रम से कम नहीं है। जब से बेटा सेना में भर्ती हुआ है, मिंटू लंबरदार ने बेजुबान पशुओं की सेवा को ईश्वर सेवा मानकर खुद को इसके लिए समर्पित कर दिया है। सुबह पांच बजे घर से निकलने का समय तय है, पर वापस घर लौटने का कोई वक्त नहीं।
विद्युत बोर्ड से सेवानिवृत स्वर्गीय विनोद कुमार को अपनी प्रेरणा मानकर उन्हीं के दिखाए मार्ग पर चलते हुए क्षेत्र में ढूंढ-ढूंढकर लावारिस गोवंश तथा अन्य घायल बेजुबानों का उपचार करना, उनकी सेवा करने को ही मिंटू लंबरदार सच्ची भक्ति मानते हैं। प्रतिदिन 10 किलो गेहूं के आटे की रोटियां बनवाकर लावारिस गोवंश को खिलाने से लेकर उपचार से कितना लाभ उन्हें हो रहा है, इस पर निरंतर नजर रखते हैं। रोटियां बनाने में गांव की महिलाएं शकुंतला देवी, रक्षा देवी, कांता तथा कृष्णा देवी इनकी सहायता करती हैं। किसी गोवंश की मृत्यु होने पर उन्हें भूमि में दबाने के लिए निशुल्क जेसीबी की सेवाएं पूर्व प्रधान सतीश कुमार, विपिन और आनंद कुमार की ओर से दी जाती हैं। गोवंश के उपचार के लिए तमाम तरह की दवाओं का खर्च सोनी ज्वैलर्स उठाते हैं।