मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि पायलट आधार पर 8-10 सोसायटियों में दूध खरीद का डिजिटलीकरण शुरू होने वाला है। उन्होंने व्यक्तिगत दूध परीक्षण, वेब और मोबाइल इंटरफेस के साथ वास्तविक समय डेटा प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के भी निर्देश दिए। पशुपालन विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार दूध उत्पादकों को लाभकारी मूल्य प्रदान करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने दूध खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू किया है जो देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि किसानों से गाय का दूध 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 55 रुपये प्रति लीटर खरीदा जा रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने के लिए बजट 2025-26 में कई पहल की जाएंगी।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार दूध खरीद पर 100 रुपये प्रति लीटर खर्च करने जा रही है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण दूध उत्पाद सुनिश्चित करने और किसानों से दूध की उपलब्धता पर मौसमी अध्ययन करने के निर्देश दिए। उन्होंने कृषक समुदाय को अधिकतम लाभ पहुंचाने के लिए इसके संचालन में उच्च तकनीक अपनाने को भी कहा। उन्होंने कहा कि पायलट आधार पर 8-10 सोसायटियों में दूध खरीद का डिजिटलीकरण शुरू होने वाला है। उन्होंने व्यक्तिगत दूध परीक्षण, वेब और मोबाइल इंटरफेस के साथ वास्तविक समय डेटा प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने दूध के कुशल परिवहन के लिए जीपीएस सक्षम रूट ट्रैकिंग और अनुकूलन सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी कड़ी मेहनत के बेहतर मूल्य प्रदान करने के लिए हिमाचली डेयरी उत्पादों का अलग से विपणन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि दूध खरीद के लिए पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित किया जाएगा और संग्रह डेटा, मात्रा, गुणवत्ता और मूल्य निर्धारण के बारे में विवरण एसएमएस के माध्यम से अधिसूचित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण से दूध खरीद का परेशानी मुक्त और निर्बाध संचालन सुनिश्चित होगा, जो पारदर्शिता बनाए रखने में भी मददगार होगा।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने अधिकारियों को दूध उत्पादकों को पशुओं की देखभाल के बारे में शिक्षित करने और किसानों को समर्थन देने के लिए एक तंत्र विकसित करने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को भी बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है और पशुपालन इस खेती पद्धति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि ये दोनों गतिविधियां सह-संबंधित हैं और पशुपालन से रासायनिक खेती में भी कमी आएगी। बैठक में पशुपालन मंत्री प्रो. चंद्र कुमार, सचिव पशुपालन रितेश चौहान, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, प्रबंध निदेशक मिल्क फेड विकास सूद और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।