प्रदेश विश्वविद्यालय के स्नातक डिग्री कोर्स के प्रथम वर्ष के घोषित नतीजों में सबसे अधिक विद्यार्थी पर्यावरण विज्ञान (ईवीएस) में फेल हुए विद्यार्थियों को राहत मिल सकती है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के स्नातक डिग्री कोर्स के प्रथम वर्ष के घोषित नतीजों में सबसे अधिक विद्यार्थी पर्यावरण विज्ञान (ईवीएस) में फेल हुए विद्यार्थियों को राहत मिल सकती है। पर्यावरण विज्ञान विषय में जांच कमेटी की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए विवि प्रशासन ईवीएस में फेल हुए विद्यार्थियों को ग्रेस मार्क्स देकर राहत दे सकता है। वहीं दूसरे विकल्प के रूप में विश्वविद्यालय मामले को ईसी में ले जा कर विद्यार्थियों को डिग्री पूरी होने तक ईवीएस की परीक्षा पास करने की छूट प्रदान कर सकता है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों पर यूजी कोर्स में अनिवार्य किए गए इस विषय को विद्यार्थियों को प्रथम वर्ष में ही परीक्षा देकर पास करना होता है।
इस विषय को पढ़ाने के लिए पूरे प्रदेश भर में एक भी शिक्षक उपलब्ध नहीं है। इसलिए बिना शिक्षक ही पढ़ाई होती रही। राजधानी शिमला के सुविधा संपन्न कॉलेजों में भी इस विषय को पढ़ाने को शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। साइंस और भूगोल जैसे विषय के शिक्षकों ने ही इस विषय को पढ़ाया है। इस कारण राजधानी के कॉलेजों में भी ईवीएस में अधिक संख्या में विद्यार्थी फेल हुए हैं। ऐसे में इस विषय में फेल हुए विद्यार्थियों को राहत मिल सकती है।
दो विषयों में फेल होने पर विद्यार्थी को अगली कक्षा के साथ री-अपीयर परीक्षा देने का मौका मिलता है। प्रदेश भर के अधिकतर कॉलेजों में पर्यावरण विज्ञान विषय में ज्यादा विद्यार्थी फेल हुए हैं। बहुत अधिक संख्या में इस विषय में री अपीयर आई है। कमेटी के अध्यक्ष अधिष्ठाता अध्ययन प्रो. कुलभूषण चंदेल पहले ही इसको लेकर बयान दे चुके हैं कि छात्र हितों को देखकर निर्णय लिया जा सकता है।
2013 से यूजी में अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है ईवीएस
2013 से सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और आदेशों पर स्नातक डिग्री कोर्स में पर्यावरण विज्ञान को प्रथम वर्ष में अनिवार्य रूप से पढ़ाने और परीक्षा देकर इसे पास करने की व्यवस्था लागू की है। सेमेस्टर सिस्टम में इस विषय को लेकर कोई बहुत अधिक समस्या नहीं होती थी, क्योंकि उसमें विद्यार्थी फेल नहीं होता था।