प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि हाईकोर्ट ने दो माह की छुट्टियों का वेतन देने का आदेश देकर दरअसल मिड-डे मील कर्मियों के साथ हुए करार को दोबारा लिख दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मिड-डे मील कर्मियों को दो माह की छुट्टियों का वेतन अदा करने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि हाईकोर्ट ने दो माह की छुट्टियों का वेतन देने का आदेश देकर दरअसल मिड-डे मील कर्मियों के साथ हुए करार को दोबारा लिख दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया सरकार की इस दलील से सहमति जताते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के आदेश जारी किए। प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों में सेवाएं दे रहे मिड-डे मील कार्यकर्ताओं को बड़ी राहत देते हुए उन्हें दो माह की छुट्टियों का वेतन भी देने के आदेश जारी किए थे। इन्हें सरकार केवल 10 माह का वेतन ही देती है। मिड-डे मील कार्यकर्ताओं के संघ ने पूरे साल का वेतन मांगते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने संघ की याचिका को स्वीकारते हुए सरकारी स्कूलों में हजारों की संख्या में तैनात मिड-डे मील वर्करों को दस माह की जगह बारह महीने का वेतन दिए जाने के आदेश दिए थे। इन आदेशों को सरकार ने हाईकोर्ट की ही खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी, जिसे खंडपीठ ने खारिज कर दिया था। अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी। हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को आदेश दिए थे कि वह मिड-डे मील वर्करों को पूरे साल का वेतन दे। सरकार का कहना था कि यह केंद्र सरकार की योजना है। ऐसे में प्रदेश सरकार इस योजना के तहत अपने स्तर पर इन्हें पूरे साल का वेतन नहीं दे सकती। इस दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि जब प्रदेश सरकार अपने स्तर पर इन वर्करों के वेतन को बढ़ा सकती है तो पूरे साल का वेतन क्यों नहीं दे सकती।
शिक्षा विभाग पर भेदभाव का आरोप
याचिका में आरोप लगाया गया था कि शिक्षा विभाग याची यूनियन के साथ भेदभाव कर रहा है। शिक्षा विभाग में कार्यरत अन्य शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारियों को भी पूरे साल का वेतन दिया जाता है, लेकिन उन्हें दस ही महीनों का वेतन दिया जा रहा है। हाईकोर्ट ने कहा था कि शिक्षा विभाग मिड-डे मील वर्करों के साथ भेदभाव नहीं कर सकता। इसलिए यह संविधान के अनुच्छेद 14 का सरासर उल्लंघन है।
चंबा के त्यारी स्कूल को मर्ज करने पर रोक
प्रदेश हाईकोर्ट ने चंबा जिला के भरमौर की होली तहसील की राजकीय केंद्र प्राथमिक पाठशाला त्यारी को राजकीय प्राथमिक पाठशाला अपर त्यारी में मर्ज करने पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने स्कूल प्रबंधन समिति त्यारी की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के बाद ये आदेश दिए। प्रार्थी ने सरकार के 17 अगस्त को जारी उन आदेशों को चुनौती दी है जिसके तहत राजकीय केंद्र प्राथमिक पाठशाला त्यारी को राजकीय प्राथमिक पाठशाला अपर त्यारी में मर्ज करने के आदेश दिए थे।
प्रार्थियों का कहना है कि त्यारी स्कूल से अपर त्यारी स्कूल की दूरी 6 किलोमीटर है। इसमें करीब ढाई किलोमीटर का रास्ता घने जंगल से गुजरता है। वहां भालू और तेंदुए जैसे खतरनाक जंगली जानवरों का सामना करना पड़ सकता है। बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए घने जंगलों से जाना पड़ेगा। छोटे बच्चे दुर्घटना का भी शिकार हो सकते हैं और जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहेगा। कोर्ट ने इन तथ्यों को देखते हुए रोक लगाई है।