जनवरी में फिर बर्फबारी के सूखे के आसार बनने लगे हैं। प्रदेश में पिछले 24 सालों में 15 बार 10 सेंटीमीटर से कम बर्फबारी राजधानी शिमला में हुई है। हिमाचल प्रदेश में तीन साल बाद जनवरी में फिर बर्फबारी के सूखे के आसार बनने लगे हैं। साल 2021 में शिमला, मनाली और डलहौजी में बर्फबारी नहीं हुई थी। 2023 में भी नाममात्र ही बर्फबारी हुई थी। प्रदेश में पिछले 24 सालों में 15 बार 10 सेंटीमीटर से कम बर्फबारी राजधानी शिमला में हुई है। सिर्फ सात बार 60 सेंटीमीटर से अधिक बर्फबारी हुई है। 80 और 90 में दशक में पहाड़ बर्फ से लकदक रहते थे। वर्ष 1998, 2006 और 2007 में भी जनवरी के दौरान शिमला में बर्फ देखने को लोग तरस गए थे। इस वर्ष भी यही हालात दोबारा बन गए हैं।
बीते कुछ वर्षों से कंक्रीट के जंगल यानी बढ़ रहे शहरी क्षेत्रों से बर्फबारी ने शिमला से अपना रास्ता बदल लिया है। विश्वविख्यात पर्यटन स्थलों शिमला और मनाली में साल-दर-साल बर्फबारी का बदलता चक्र इस ओर साफ इशारा कर रहा है। दोनों पर्यटन नगरियों से नवंबर, दिसंबर और जनवरी में बर्फबारी का नाता टूट सा गया है। वर्ष 2000 से आधुनिकता की दौड़ में शामिल हुए शिमला और मनाली में जंगलों का दायरा लगातार घट रहा है। इसका सीधा असर बर्फबारी से जुड़े मौसम के चक्र पर पड़ रहा है। बर्फ के दीदार के लिए लोग अब दोनों शहरों से और ऊंचाई वाले क्षेत्रों की दौड़ लगा रहे हैं।
वर्ष 2000 से पहले फरवरी तक बर्फबारी का सीजन चलता था। अब पेड़ों की घटती संख्या के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। इस वजह से राजधानी में फरवरी के दौरान साल 2000 में 12 बार, 2007 में 7 बार, 2019 में छह और 2022 में दो बार ही बर्फबारी हुई। शिमला में साल 2005 के नवंबर, दिसंबर और साल 2006 के जनवरी, फरवरी और मार्च में बिल्कुल भी बर्फबारी नहीं हुई। साल 2009-10 में नाममात्र 1.8 सेंटीमीटर बर्फबारी हुई। साल 1995 में नवंबर में भी शिमला में बर्फबारी हुई थी। उस समय 7.8 सेंटीमीटर बर्फबारी हुई।
उत्तरी ध्रुव और भूमध्य सागरीय क्षेत्र में बना कम दबाव का क्षेत्र
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि मौसम में बदलाव का बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग है। इसके अलावा उत्तरी ध्रुव और भूमध्य सागरीय क्षेत्र में कम दबाव का क्षेत्र बनने से पश्चिमी विक्षोभ कमजोर हो गया है। सर्दियों में बर्फबारी के लिए अटलांटिक सागर से हवाएं आती हैं। उत्तरी ध्रुव की ओर से ठंडी और भूमध्य सागरीय क्षेत्र की ओर से गर्म हवा आने पर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता है। इस बार उत्तरी ध्रुव में हवा कम है और कम दबाव का क्षेत्रफल भी हावी है। कम दबाव के क्षेत्रफल के हावी होने से हवाएं आगे की तरफ नहीं आ रहीं। इससे प्रशांत सागर में भी तापमान सामान्य से ज्यादा दर्ज किया जा रहा है।
शिमला में लगातार तीसरे साल दिसंबर में नहीं हुई बर्फबारी
राजधानी शिमला में लगातार तीसरे साल दिसंबर 2023 के दौरान बर्फबारी नहीं हुई। शिमला में दिसंबर में साल 2020 में बर्फबारी हुई थी। इससे पहले वर्ष 2018 में बर्फबारी हुई थी। उधर, शिमला में 17 साल बाद सर्दियों में बारिश भी सबसे कम होने की संभावना बन गई है। वर्ष 2007 में जनवरी में सामान्य से 99 फीसदी कम बारिश हुई थी। इस वर्ष 16 जनवरी तक बारिश-बर्फबारी सामान्य से 100 फीसदी कम है। आने वाले दिनों में भी मौसम में बदलाव के आसार कम ही हैं। इस वर्ष बारिश को लेकर प्रदेश में 2017 की जनवरी जैसे हालात बन रहे हैं।
प्रदेश में आठ साल बाद रिकॉर्ड हुई सबसे कम बारिश
प्रदेश में आठ साल बाद दिसंबर 2023 के दौरान सबसे कम बारिश रिकॉर्ड हुई। एक से 31 दिसंबर 2023 तक प्रदेश में सामान्य से 85 फीसदी कम बारिश यानी 5.8 मिलीमीटर बारिश हुई। इस अवधि में 38.1 मिलीमीटर बारिश सामान्य मानी गई है। इससे पहले दिसंबर 2016 में 3 मिलीमीटर ही बादल बरसे थे। वर्ष 2004 से 2023 तक सिर्फ तीन बार 2010, 2017 और 2019 में ही दिसंबर में सामान्य से अधिक बारिश हुई है।