आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के पुख्ता प्रमाण मिलने के बाद विजिलेंस ने सीपी सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। छापों में सीपी सिंह के दिल्ली, देहरादून, मुंबई, गुरुग्राम समेत कई अन्य शहरों में भी आलीशान प्रतिष्ठान, आवास आदि का भी पता चला है। बहुजन समाज पार्टी की सरकार में अंजाम दिए गए 1400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले के आरोपी उप्र राजकीय निर्माण निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक सीपी सिंह के राजधानी स्थित तीन ठिकानों पर विजिलेंस ने बुधवार को छापा मारा। शासन के निर्देश पर विजिलेंस ने मंगलवार को सीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का केस दर्ज करने के बाद यह कार्रवाई की है। छापों में सीपी सिंह के दिल्ली, देहरादून, मुंबई, गुरुग्राम समेत कई अन्य शहरों में भी आलीशान प्रतिष्ठान, आवास आदि का भी पता चला है।
सूत्रों के मुताबिक विजिलेंस की खुली जांच में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के पुख्ता प्रमाण मिलने के बाद विजिलेंस ने सीपी सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। इसकी मंजूरी मिलने के बाद मंगलवार को मुकदमा दर्ज करने के बाद सीपी सिंह के गोमतीनगर के विश्वास खंड, हजरतगंज के मदन मोहन मालवीय मार्ग और महानगर के ठिकानों पर विजिलेंस की टीमों ने छापा मारा। इस दौरान सीपी सिंह गोमतीनगर स्थित अपने आवास पर मौजूद मिले, जिसके बाद उनका बयान दर्ज किया गया। जांच के दौरान उनके आवास पर जगुआर और बीएमडब्ल्यू जैसी बेशकीमती गाड़ियां और अन्य वस्तुएं बरामद की गयी हैं। साथ ही तमाम संपत्तियों के दस्तावेज, बैंक खाते और लॉकर्स का भी पता चला है। विजिलेंस बृहस्पतिवार को इन बैंक खातों को सीज कराने के साथ लॉकर्स को भी खुलवाने की कवायद करेगी।
कई कंपनियों में डायरेक्टर
जांच में सामने आया कि सीपी सिंह कई कंपनियों में डायरेक्टर और साझेदार भी हैं। आशंका जताई जा रही है कि उन्होंने स्मारक घोटाले की काली कमाई को इन कंपनियों में निवेश किया है। विजिलेंस की टीमें उनके बाकी शहरों के ठिकानों को बृहस्पतिवार को खंगाल सकती हैं। बता दें कि सीपी सिंह काफी दिनों से अस्वस्थ होने की वजह से अपने गोमतीनगर स्थित आवास पर रहते हैं।
सपा सरकार में हुई विजिलेंस जांच
बता दें कि बसपा सरकार में लखनऊ और नोएडा में महापुरुषों के नाम पर बने स्मारकों और पार्कों के निर्माण में घोटाले की जांच वर्ष 2012 में सपा सरकार ने शुरू करायी थी। सपा सरकार ने पहले इसकी जांच लोकायुक्त संगठन से कराई, जिसने करीब 1400 करोड़ रुपये का घोटाला अंजाम देने की रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। तत्पश्चात राज्य सरकार ने इस मामले की जांच विजिलेंस को सौंप दी। विजिलेंस ने एक जनवरी 2014 को पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, सीपी सिंह, निर्माण निगम और पीडब्ल्यूडी के अफसरों, पट्टाधारकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। जांच के दौरान सीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के प्रमाण मिलने पर शासन को अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए आगे कार्रवाई करने की अनुमति मांगी थी। इस मामले में विजिलेंस दोनों पूर्व मंत्रियों से भी पूछताछ कर चुकी है