सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि सोमवार को वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के साथ मंत्रणा होगी। तकनीकी तौर पर इसे देखना होगा। यह संभव ही नहीं है कि अन्य लोगों का अनुबंध तीन से घटाकर दो साल किया जाए और पुलिस कर्मियों से भेदभाव किया जाए। मिलकर समाधान निकाला जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार रविवार को सैकड़ों नाराज पुलिस कर्मचारी एक साथ मुख्यमंत्री आवास ओकओवर पहुंच गए। पूरा परिसर पुलिस छावनी में बदल गया। पुलिस कांस्टेबलों की इतनी बड़ी मूवमेंट से आला अफसरों में हड़कंप मच गया। दरअसल, प्रदेश में बीते शनिवार को संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक में सीएम जयराम ठाकुर ने अनुबंध कर्मचारियों को नियमित करने की अवधि तीन से दो साल करने का एलान किया लेकिन पुलिस कांस्टेबलों के पे बैंड की अवधि कम करने की कोई घोषणा नहीं की।
मांग पूरी न होने से मायूस इन कांस्टेबलों ने विरोध में शनिवार दोपहर से ही मेस का खाना छोड़ दिया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को इसकी जानकारी मिली तो आनन-फानन में पुलिस कर्मियों के कुछ प्रतिनिधियों से मुलाकात के लिए शाम को बैठक तय कर दी गई। पुलिस के आला अफसरों को इसकी भनक तक नहीं लगी। नतीजतन, रविवार को दोपहर बाद 3.30 से लेकर शाम करीब 6:00 बजे तक सैकड़ों कांस्टेबल मुख्यमंत्री आवास के बाहर डट गए। इस बीच कांस्टेबलों के कुछ प्रतिनिधि भीतर गए और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से बातचीत की। लगभग ढाई घंटे बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बाहर निकले और कांस्टेबलों को आश्वासन दिया कि सोमवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त उनकी मांग को लेकर कोई समाधान निकालेंगे। इसके बाद कांस्टेबल लौट गए।
बताया जा रहा है कि कुछ पुलिस कर्मियों ने अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर के नेतृत्व में सुबह के समय ही सीएम के समक्ष इस मामले को उठाया लेकिन उन्हें शाम चार बजे के बाद बुलाया गया। इसी बीच पुलिस कांस्टेबल जुटना शुरू हो गए और ओकओवर पहुंच गए। इस माहौल को देखकर ऐसा लगा मानो पुलिस कर्मी सीएम आवास का घेराव कर रहे हों। इससे एक तरह की चर्चा रही कि एक अनुशासित बल इस तरह से क्यों जुट आया। इससे पुलिस विभाग में अफरातफरी की स्थिति बन गई। आला अधिकारी भी इस बात से हैरान रहे कि कांस्टेबलों को इस तरह से अपनी बात रखने की नौबत क्यों आई। हालांकि ये पुलिस कर्मी शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख रहे थे।
जेसीसी के एजेंडे में शामिल था पे बैंड का मुद्दा
पुलिसकर्मियों के प्रतिनिधिमंडल ने जेसीसी को दिए एजेंडे में आठ साल के एक ही पे बैंड की अवधि को घटाने और संशोधित पे बैंड देने की मांग की थी। पुलिस कर्मियों का यह मुद्दा जेसीसी के एजेंडे में शामिल था, लेकिन इस पर फैसला नहीं होने से पुलिस कांस्टेबल नाराज हो गए।
अनुबंध पर नहीं हैं पुलिसकर्मी, वित्त विभाग निकालेगा समाधान : जयराम
सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि पुलिस कर्मियों की अनुबंध पर नियुक्ति नहीं होती है। यह नियुक्ति नियमित ही होती है। अनुबंध वाला विषय पुलिसकर्मियों पर लागू नहीं होता है। पुलिस कर्मी हाईकोर्ट भी गए हैं। हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। जिस बात का जिक्र किया जा रहा है, उसमें 2013 के पहले से लाभ मांगे जा रहे हैं जबकि 2013 से पहले और पे बैंड था।
2015 के बाद अलग पे बैंड है। इन कर्मचारियों की तुलना वन रक्षकों से भी नहीं की जा सकती है, क्योंकि वे अनुबंध से होते हैं। जेल पुलिस भी अनुबंध पर होती है। इसलिए ऐसे समाधान नहीं हो पा रहा है। इसका अलग रास्ता तलाशना होगा। सोमवार को वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के साथ मंत्रणा होगी। तकनीकी तौर पर इसे देखना होगा। यह संभव ही नहीं है कि अन्य लोगों का अनुबंध तीन से घटाकर दो साल किया जाए और पुलिस कर्मियों से भेदभाव किया जाए। मिलकर समाधान निकाला जाएगा।
यह है नियम
नियमानुसार पुलिस कांस्टेबल मुख्यमंत्री से सीधे मुलाकात नहीं कर सकते। इसके लिए विभाग के माध्यम से ही जाना पड़ता है। आधिकारिक तौर पर उन्हें निर्देशों के अनुसार ही एक से दूसरे स्थान पर जाना होता है। थानों में तैनात पुलिस कर्मियों को जनरल डायरी (जीडी) में आने-जाने का ब्योरा दर्ज करना होता है। अन्य यूनिटों में तैनात जवानों को वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश लेने अनिवार्य होते हैं। ऐसा न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है।