प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारी पिछले कई साल से सरकार विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं परंतु इनको स्थायी करने के लिए कोई नीति नहीं है। अब यह मामला मंत्रिमंडल की आगामी बैठक में ले जाया जाएगा। प्रदेश के हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनाने की तैयारी की जा रही है। यह मामला शीघ्र ही मंत्रिमंडल की बैठक में ले जाया जाना है ताकि इनके हितों की रक्षा करते हुए सरकार कोई फैसला ले सके। बताते हैं कि मंत्रिमंडल उप समिति आउटसोर्स कर्मियों के लिए ठोस नीति बनाने के पक्ष में है। अब यह मामला मंत्रिमंडल की आगामी बैठक में ले जाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारी पिछले कई साल से सरकार विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं परंतु इनको स्थायी करने के लिए कोई नीति नहीं है। बताते हैं कि ये कर्मचारी निजी कंपनियों के माध्यम से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ये कर्मचारी ठोस नीति बनाकर रेगुलर करने की मांग कर रहे हैं।
पंजाब की तर्ज पर फार्मासिस्टों ने मांगा वेतनमान
हिमाचल प्रदेश अस्पताल फार्मासिस्ट संघ के अध्यक्ष चमन ठाकुर, महासचिव मनोज शर्मा ने संघ के पदाधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक कर प्रदेश सरकार से मांग की है कि फार्मासिस्टों का 2 साल का प्रोबेशन समय समाप्त किया जाए। फार्मासिस्ट लगभग साढ़े 9 वर्ष का अनुबंध काल पूरा कर नियमित हुए हैं। इसके अलावा इन फार्मासिस्टों को सितंबर 2012 से 16290 बेसिक के हिसाब से वेतन दिया जाना चाहिए।
वहीं पंजाब की तर्ज पर 2.59 और 2.25 और 15 फीसदी का गुणांक भी दिया जाए ताकि रिकवरी से बचा जा सके। इसके अलावा पदनाम फार्मासिस्ट से फार्मेसी अफसर और चीफ फार्मासिस्ट से चीफ फार्मेसी अफसर किया जाए। अध्यक्ष चमन ठाकुर ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में सितंबर 2002 में अनुबंध आधार पर 71 फार्मासिस्टों की भर्ती हुई थी जो कि अब 50 ही रह गए हैं।
इनकी भर्ती हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड हमीरपुर से 4550 रुपये प्रतिमाह वेतन पर हुई थी। लगभग साढ़े नौ साल बाद जनवरी 2012 में नियमित हुए। इनको 11470 बेसिक पर नियमित किया गया। सितंबर 2012 में पंजाब की तर्ज पर वेतन आयोग की सिफारिशों का हिमाचल प्रदेश में पुन: निर्धारण किया गया था। इसमें इनिशियल वेतन पंजाब की तर्ज पर 16290 न देकर 14500 रुपये 2 साल के प्रोबेशन के बाद मिला।
अब 3 जनवरी 2022 को हिमाचल प्रदेश सरकार ने जो पंजाब पे कमीशन के हिसाब से अधिसूचना जारी की है, उस तर्ज पर दोनों गुणाकों 2.25 औक 2.59 से इन फार्मासिस्टों को लगभग दो लाख की रिकवरी देनी पड़ जाएगी और यदि 15 फीसदी वेतन वृद्धि का विकल्प भी होता है तब भी इस बेसिक के हिसाब से रिकवरी देनी होगी।